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Evolution of Currency in Hindi (मुद्रा का इतिहास)

(History and Evolution of Currency in hindi, Indian history of Currency, Coins, Paper Money, Bank Money, Digital Money)मुद्रा का इतिहास और उसका क्रमिक विकास ( मुद्रा और उसकी सुरुवात, मुद्रा का भारतीय इतिहास, मुद्रा के प्रकार)

Evolution of Currency in Hindi (मुद्रा का इतिहास) -पैसे का महत्व सदियों से रहा है और आज भी है इसीलिए कहा जाता है ‘बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया’. क्या आप कल्पना कर सकते है? की इस संसार से मुद्रा (Currency) जिसे सामान्य भाषा में पैसा कहा जाता है चाहे वह किसी भी रूप में हो सिक्का, नोट, डिजिटल मनी या फिर बैंक मनी गायब हो जाये तो क्या होगा. सारा कारोबार , व्यापार, लेन-देन कैसे होगा? भयावह!! तो सोचिये जब मुद्रा का चलन नहीं था तब व्यापार-व्यवसाय कैसे हुआ करता था? या मुद्रा के स्थान पर क्या इस्तेमाल किया जाता था? और मुद्रा का चलन व विकास किस प्रकार से शुरू हुआ? आज इस लेख में विस्तार से जानेंगे.

Evolution of Currency
Evolution of Currency

मुद्रा क्या है? (What is Currency?)

वैसे वास्तव में पैसे का कोई आंतरिक मूल्य नहीं होता बल्कि पैसा एक ऐसी वस्तु है जिसे एक निश्चित मानक प्रदान किया जाता है. मुद्रा का उपयोग वस्तुओं का व्यापार व सेवाओं की खरीद-बिक्री के लिए किया जाता है जो की उस मुद्रा के मूल्य के बराबर हो. कुछ मुद्रा जैसे सिक्कों का धातु से बनी होने के कारण बनाने में उपयोगी धातु के परिपेक्ष में मूल्य होता है जबकि काग़ज़ की मुद्रा का वास्तविक मूल्य नहीं होता जो वर्तमान में प्रायः इस्तेमाल की जाती है.

जीवन यापन के लिए पैसा अत्यंत महत्वपूर्ण वस्तु है बस काल के साथ उसके रूप में परिवर्तन आया है. बार्टर , धातु के सिक्के, कागज के नोट, बैंक मनी, प्लास्टिक मानी से होते हुए आज हम डिजिटल मनी के साथ डिजिटल युग में प्रवेश कर चुके है.

प्राचीन काल में व्यापार कैसे होता था? (Barter System)

प्राचीन काल में जब मुद्रा का आविष्कार नहीं हुआ था तब व्यापार के लिए या अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वस्तु के बदले वस्तु ( Goods vs Goods), वस्तु के बदले सेवा (Goods vs Service) और सेवा के बदले सेवा (Service vs Service)  का इस्तेमाल किया जाता था. इसे वस्तु विनिमय या अंग्रेजी में Barter कहा जाता है. जैसे कि एक किसान व्यापार के लिए फसल तो दूसरा पशु धन तो तीसरा सेवाओं का आदान-प्रदान किया करता था. इसी क्रम में आगे चलकर मुद्रा का आविष्कार हुआ जो आज के समय में व्यापार व व्यवसाय की नींव है.

प्रथम मुद्रा कब अस्तित्व में आई? (First Money)

मानव सभ्यता के विकास के क्रम में लगभग 5000 वर्ष पूर्व प्रथम मुद्रा का परिचय मेसोपोटामियन सिक्कों के रूप में प्राप्त होता है जिसे शेकेल (Shekel) के नाम से जाना जाता था. कुछ तथ्य धातु के सिक्कों के प्राप्त हुए है जो की लगभग 1250 वर्ष ईशा पूर्व के है. चीन में लगभग 1000 ईशा पूर्व के मुद्रित सिक्कों का प्रमाण मिलता है जो की कांस्य और तांबा धातुओं से बनते थे. सोने-चांदी के सिक्कों का चलन लगभग 650 से 600 वर्ष ईशा पूर्व का माना जाता है. धातु से बनी मुद्रा का इतिहास काफी लम्बा है जिसने वर्तमान सिक्कों का रूप ले लिया है.

प्राचीन समय में अलग-अलग क्षेत्रो में अलग-अलग सिक्कों का उल्लेख मिलता है. देवताओं व राजाओं के चित्र मुद्रित प्रथम गोल सिक्कों का उल्लेख लगभग 500 ई.पु. में मिलता है. सिक्कों की तरह कागज के नोटों का इतिहास भी प्राचीन है. पहली बार कागज की मुद्रा चीन में लगभग 700-800 ई.प. में छापी गई थी.

मुद्रा (सिक्कों) का भारतीय इतिहास क्या है? (Indian history of Money- Evolution of Currency in India)

भारत में सिक्कों के इतिहास लगभग 600 वर्ष ई.पु. पुराना है इस समय इन्हें ‘कर्श्पना’ या ‘पाना’ कहा जाता था. गौतम बुद्ध के समय के कालखंड में सिक्कों पर पेड़, मछली, सांड, अर्धचंद्र और हाथी की आकृति अंकित हुआ करती थी जिसे आहत सिक्के कहा जाता था जो तांबे और चांदी के बने होते थे.

अलग-अलग भारतीय राजवंश ने अपने-अपने अलग सिक्के छापे. इनमें गांधार, कुन्तल, कुरु, मगध, पांचाल, शाक्य, सुरसेन, सौराष्ट्र और विदर्भ आदि शामिल थे. अकसर सिक्कों पर एक ओर राजा की तो दूसरी ओर उनके ईस्ट देवता का चित्र छापा जाता था. मोहनजोदड़ो और हड़प्पा काल के प्राप्त धातु के सिक्के लगभग 1750 से 1900 ई.पु. का बताया जाता है. मौर्य साम्राज्य (300ई.पू.-1100ई.प.) में मुद्रा की वैधता के लिए राजकीय चिन्ह अंकित किये जाते थे. इस समय तांबा-चांदी की मिश्रित धातु का इस्तेमाल किया जाता था. शाक्य (200ई.पू.-400ई.प.), कनिष्क व हुविश्का (100-200ई.प.), गुप्त वंश (320-480ई.प.), चोला राजवंश (850-1279 ई.प.), राजपूत (900-1400ई.प.), और अहोम (1228-1826ई.प.) जैसे राजवंशों ने भी अपने साम्राज्य के सिक्के चलाये थे.

मुग़ल शासकों ने भी अपने काल में सिक्कों का खनन व छपाई कराई थी. अलाउद्दीन खिलजी ने ‘सिकंदर-ए-सानी’ नामक सिक्का जारी किया था. मुहम्मद बिन तुगलक ने पीतल और तांबा के बने सिक्के जारी किये जिसका मूल्य सोने और चांदी के सिक्कों के बराबर माना जाता था. मुग़ल साम्राज्य की नींव रखने वाले बाबर ने ‘शाहरुखी’ नामक सिक्का जारी किया जिसका नाम तैमुर के बड़े बेटे शाहरुख़ मिर्ज़ा के नाम पर रखा था. इन सिक्कों पर केंद्र में सुन्नी कलमा व चारों ओर प्रथम खलीफाओं के नाम और पीछे की तरफ राजा के नाम के साथ खनन स्थान और हिजरी तारीख अंकित किया गया था. बाबर के बाद हुमायु ने भी इन सिक्कों को जारी रखा था.

त्रि-धातु सिक्के मुग़ल काल की विशेषता थे जो की शेरशाह सूरी के पांच वर्ष (1540-45) के कालखंड में शुरू किये गए थे. आज के रुपये का उद्गम शेरशाह सूरी के काल को माना जाता है. रुपया शब्द संस्कृत भाषा के ‘रुप्यकम’ से लिया गया था जिसका अर्थ होता है चांदी का सिक्का. शेरशाह सूरी द्वारा जारी किये गए 178 ग्रेन के मानक वजन वाले चांदी के सिक्के के लिए सर्व सामान्य रूप से रुपया शब्द का प्रयोग किया जाने लगा इससे पहले चांदी के सभी सिक्कों को रुपया कहा जाता था.

छत्रपति शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठा साम्राज्य की नींव रखी गई इस कालखंड में तांबे के सिक्के जारी किये गए जिसमें देवनागरी लिपि में एक तरफ ‘श्री राजा शिव’ व दूसरी ओर ‘छत्रपति’ अंकित था. इसके अलावा मराठाओं द्वारा कुछ स्वर्ण मुद्रा ‘शिवराई’ भी जारी की गई थी.

भारत में ब्रिटिश शासन आने के बाद पहली बार 1835 में ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से विलियम III की छवि वाले यूनिफोर्म सिक्के ढाले गए, बाद में 1840 में इन्हें रानी विक्टोरिया की छवि वाले सिक्कों से बदल दिया गया. 1862 में छपे सिक्के में महत्वपूर्ण बदलाव किये गए जैसे ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ को ‘इंडिया’ में बदल दिया गया व रानी विक्टोरिया की छवि में भी परिवर्तन किया गया. 1877 के बाद शासक की छवि में बदलाव के साथ ये सिक्के 1938 तक जारी रहे. इन सिक्कों का वजन 11.66 ग्राम और शुद्धता 91.7% स्थिर रखी गई थी.

स्वतंत्रता के बाद 1947 से 1950 तक ब्रिटिश शासकों की छवि वाले सिक्के जारी रहे. 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणराज्य की स्थापना के बाद 15 अगस्त 1950 को स्वतंत्र गणतंत्र भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली श्रृंखला के सिक्के पहली बार जारी किये गए जिनपर ब्रिटिश शासकों की छवि को अशोक स्तंभ के सिंहों से बदल दिया गया.

कागज़ी मुद्रा और बैंकिंग सिस्टम कब शुरू हुआ? (Paper money and Banking system)

सिक्कों के इस्तेमाल में काफी दिक्कतों को देखते हुए कागज़ी मुद्रा अर्थात Paper Money अस्तित्व में आई. चीन में लगभग 7वि शताब्दी में पहली बार कागज के नोटों का इस्तेमाल किया गया.  Currency war (मुद्रा युद्ध) के चलते इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया था.

भारत में पहली बार 1861 में ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा कागज के नोट छापे गए और बैंकिंग सिस्टम अस्तित्व में आया. प्रारंभ में तीन बैंक ‘बैंक ऑफ़ इंडिया’, ‘बैंक ऑफ़ कलकत्ता’, और ‘बैंक ऑफ़ बॉम्बे’, के द्वारा बैंक नोट जारी किया जाता था. प्रथम विश्व युद्ध के कारण चांदी की भारी कमी का सामना करना पड़ा और इसी कारण से 1 रुपए का नोट पहली बार छापा गया.

1 अप्रैल 1935 को कलकत्ता में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई और 1937 में इसे पूर्ण रूप से मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया. तब से भारत में मुद्रा की छपाई से लेकर देश की अर्थव्यवस्था का संचालन रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा ही किया जाता है. बैंकिंग सिस्टम के अस्तित्व में आने के कारण चेक और ड्राफ्ट भी अस्तित्व में आये जिससे पैसो के भुगतान की अनेको समस्याओं में सुलभता आई. चेक और ड्राफ्ट पेपर मनी का ही प्रकार है.

आधुनिक मुद्रा क्या है? और उसके प्रकार? (Modern days Money)

वर्तमान समय में पैसो का लेन-देन, सेवाओं का भुगतान, पूंजी निवेश, व्यवसाय व व्यापार बहुत ही सुलभ हो चला है जिसका एकमात्र कारण है आधुनिक मुद्रा. जी हाँ आज प्रायः इस्तेमाल किये जाने वाले डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, इन्टरनेट बैंकिंग, UPI (UNIFIED PAYMENT INTERFACE) भुगतान आदि आधुनिक मुद्रा के ही प्रकार है.

प्लास्टिक मनी (Plastic Money)

डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड को प्लास्टिक मनी भी कहा जाता है. ये दोनों कार्ड बैंको द्वारा निश्चित व्यक्ति के नाम पर जारी किये जाते है. डेबिट कार्ड बैंक खाते से संलग्न होते है इससे उतना ही भुकतान किया जा सकता है जितना खाते में जमा पूंजी हो. इसके विपरीत क्रेडिट कार्ड के मामले में जारी किये गए बैंक द्वारा निश्चित की गई राशी तक ही भुकतान किया जा सकता है और एक निश्चित समय सीमा के बाद क्रेडिट कार्ड बिल का भुकतान करना अनिवार्य होता है अन्यथा बैंक उस मुद्रा को भारी व्याज दर से वसूल करती है. डेबिट व क्रेडिट कार्ड वर्तमान में भुगतान के लिए एक लोकप्रिय साधन है.

ऑनलाइन पेमेंट (Online Payment)

ऑनलाइन भुगतान ने सिक्कों और नोटों के लेन-देन की निर्भरता को ख़त्म कर दिया है. इन्टरनेट और ईकॉमर्स की क्रांति के कारण ऑनलाइन भुगतान में तेजी आई है. भारत में सेवाओं और वस्तुओं के लिए UPI (UNIFIED PAYMENT INTERFACE) ऑनलाइन भुगतान का सबसे लोकप्रिय माध्यम है. इसके अतिरिक्त इन्टरनेट बैंकिंग, NEFT, क्रेडिट-डेबिट कार्ड आधारित भुगतान ऑनलाइन पेमेंट के अन्य माध्यम है.

डिजिटल मुद्रा (Digital Currency)

डिजिटल मुद्रा सर्वप्रथम 90 के दशक में अस्तित्व में आई और नाकाम रही. किन्तु 20वी शताब्दी में इसका मान व लोगों में इसकी स्वीकारता तेजी से बढ़ रही है. यहाँ तक की क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल करेंसी अर्थव्यवस्था में बड़ा स्थान रखते है. बिटकॉइन (BITCOIN) सर्वाधिक लोकप्रिय डिजिटल करेंसी है जबकि रिप्पल (RIPPLE), एथेरियम (ETHEREUM), लाइटकॉइन (LITECOIN) अपनी जगह तलाश रहे है. डिजिटल मुद्रा की संख्या सीमित होने के कारण या कहे तो इसका खनन (MINING) बहुत ही जटिल व मुश्किल होने के कारण वर्तमान में इसकी कीमत बहुत ज्यादा है. हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 दिसम्बर 2022 को अपनी डिजिटल करेंसी The Digital Rupee (e₹) जारी किया है.

सारांश

मानव जीवन में पैसे का महत्व सदियों से रहा है चाहे उसका रूप कोई भी रहा हो या कीमत कितनी भी रही हो. मुद्रा के आविष्कार से वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार का उचित मूल्य निर्धारित हुआ. सिक्कों की तुलना में कागज़ी मुद्रा से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुलभ हुआ. डिजिटल मुद्रा से आपसी लेनदेन काफी आसन हो गया. तमाम देशों की अर्थव्यवस्था उनकी GDP उस देश की मुद्रा पर ही टिकी है. मुद्रा के अवमूल्यन ने कई देशों की अर्थव्यवस्था को डूबा दिया है.

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