5G technology in Hindi.(5G तकनीक और विकास)
5G Technology in Hindi– स्पेक्ट्रम क्या है? यह कार्य कैसे करता है? स्पेक्ट्रम का विकास-1G,2G, 3G,4G, 5 G ka matlab kya hota hai .(What is Spectrum? How it works? Evolution of 5G )
वायरलेस टेक्नोलॉजी के आने के बाद संचार के क्षेत्र में क्रन्तिकारी विकास हुआ है और टेलीफोन बीते ज़माने की बात होकर रह गई है. आज बच्चा समझने लायक होता नहीं की उसके हाथ में स्मार्टफोन पकड़ा दिया जाता है या यूँ कहे की बच्चा स्मार्टफोन के साथ ही स्मार्ट होता जाता है.
स्मार्टफोन का इस्तेमाल बच्चे-बड़े-बुजुर्ग सब के लिए आम हो गया है इसका सबसे बड़ा कारण है की स्मार्टफोन का इस्तेमाल न केवल संचार के लिए अपितु मनोरंजन, सोशल मीडिया, समाचार, मनी ट्रान्सफर, बैंकीय लेनदेन, वित्तीय भुगतान और ओला कार बुक करने जैसे दैनिक कार्यों में ज्यादा होने लगा है. और यह संभव हुआ है वायरलेस नेटवर्क – स्पेक्ट्रम के कारण जो 1G, 2G, 3G, 4G से होते हुए 5G network में विकसित हो चूका है. विकास की इस प्रक्रिया में लगभग 40 वर्ष का समय लगा. इस लेख में हम इसी विषय पर सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.
स्पेक्ट्रम (Spectrum) क्या है?
स्पेक्ट्रम एक विशेष लम्बाई की विद्युत चुम्बकीय विकिरण (Electromagnetic Radiation) का एक हिस्सा मात्र है जो की किसी वस्तु, पदार्थ, अणु या परमाणु द्वारा उत्सर्जित या अवशोषित किया जाता है. विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electromagnetic Spectrum) की श्रेणी 3Hz अति लघु आवृत्ति (Extremely low Frequency) से 300EHz गामा किरणें के मध्य होती है. वायरलेस संचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किरणें इन विद्युत चुम्बकीय किरणों के मध्य 20KHz से 300GHz तक होती है. यही स्पेक्ट्रम या सिगनल हमें मोबाइल से कॉल करने, इन्टरनेट इस्तेमाल करने, ओला (Ola) बुक करने, वित्तीय भुगतान करने जैसे काम आसानी से करने में मदद करते है.
स्पेक्ट्रम (Spectrum) कार्य कैसे करता है?
सेलुलर संचार (Cellular Communication) के लिए एक विशेष लम्बाई (Band) की स्पेक्ट्रम आवृत्ति (Frequency) की श्रृंखला का इस्तेमाल किया जाता है, जो बैंड के आधार पर तीन प्रकार की होती है- लघु (Low), मध्यम (Mid) और उच्च (High) बैंड स्पेक्ट्रम. अलग-अलग बैंड के स्पेक्ट्रम की अपनी अलग विशेषता होती है और वे उसी आधार पर कार्य करते है.
लघु (Low) बैंड स्पेक्ट्रम
सामान्यतः 3GHz से कम आवृत्ति के होते है जो कम से कम रूकावट के साथ लम्बी दूरी तय करते है. वायरलेस नेटवर्क मुख्य रूप से इसी स्पेक्ट्रम पर निर्मित किये गए है. संचार उद्योग ने इसी स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर वायरलेस नेटवर्क का निर्माण किया है. हमारे देश भारत में लगभग 99.5% क्षेत्र में वायरलेस नेटवर्क का जाल बिछाया जा चूका है और संचार सेवाएं प्रदान की जा रही है.
उच्च (High) बैंड स्पेक्ट्रम
सामान्यतः 24GHz से अधिक आवृत्ति के होते है, जो बहुत की कम दूरी तय करते है लेकिन ये उच्च क्षमता और अति तेज गति (Ultra-Fast speed) प्रदान करते है. इनकी दूरी मीटर में होती है किलोमीटर में नहीं.
मध्यम (Mid) बैंड स्पेक्ट्रम
मध्यम (Mid) बैंड स्पेक्ट्रम की आवृत्ति 3GHz से 24GHz के बीच होती है. यह लघु और उच्च बैंड स्पेक्ट्रम की मिश्रित विशेषताओं को प्रस्तुत करता है. यह मिश्रित क्षमता और गति प्रदान करता है.
सड़क मार्ग या राजमार्ग से जाते हुए या ऊँची इमारतों पर आपने अनेको करीब 50-50 मीटर ऊँचे टावर देखे होंगे. स्पेक्ट्रम फ्रीक्वेंसी इन्हीं टावर से हमारे मोबाइल फ़ोन तक भेजी जाती है. वर्तमान में छोटे टावर स्थापित किये जा रहे है जिनकी आपसी दूरी काफी नजदीक होती है. ये टावर लघु-मध्यम-उच्च (Low-Mid-High) बैंड फ्रीक्वेंसी के स्पेक्ट्रम के मिश्रित स्पेक्ट्रम हस्तांतरित करने में उपयोगी है जो 5G network स्थापित करने में अत्यंत आवश्यक और कारगर है. .
स्पेक्ट्रम की क्रमिक उन्नति 1G (Evolution of Spectrum from 1G )
1G Technology
1G पहली पीढ़ी के वायरलेस कम्युनिकेशन नेटवर्क है. जिसकी सुरुवात 80 के दशक में जापान के टोकियो शहर से हुई और 1984 तक इसका विस्तार सम्पूर्ण जापान में हो गया. इसी के साथ जापान वायरलेस कम्युनिकेशन नेटवर्क स्थापित करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. मध्य 80 के दशक तक कनाडा और अमेरिका में भी 1G नेटवर्क स्थापित होने के बाद मोटोरोला ने दुनिया का पहला मोबाइल फ़ोन प्रस्तुत किया. आज की तुलना में 1G में काफी कमियां थी जैसे निम्न गुणवत्ता ध्वनि, कर्कश ध्वनि, ख़राब नेटवर्क, पृष्ठभूमि शोर, रोमिंग का न होना, एंड तो एंड एन्क्रिप्शन न होने के कारण वार्तालाप सुरक्षित न होना, रेडिओ द्वारा किसी से भी संपर्क हो जाना व धीमी डाउनलोड गति (2.4kbps) इत्यादि.
विशेषता:
- यह पहली व्यावसायिक रूप से उपलब्ध मोबाइल तकनीक थी जिसने भविष्य की प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया.
- इस एनालॉग तकनीक ने सेलुलर नेटवर्क पर बुनियादी आवाज संचार को सुगम बनाया.
कमियाँ:
- आवाज़ की गुणवत्ता ख़राब थी और यह तकनीक हस्तक्षेप तथा शोर के प्रति संवेदनशील थी.
- इसमें सीमित डेटा क्षमताएँ या कोई डेटा सेवा नहीं थी.
- इसकी कवरेज और क्षमता सिमित होने के परिणामस्वरूप कॉल ड्रॉप और नेटवर्क कंजेशन अधिक होता था
2G Technology
1G की क्रन्तिकारी खोज के बाद 1991 में फ़िनलैंड में पहला 2G नेटवर्क स्थापित किया गया जिसे GSM (Global System for Mobile Communication) भी कहा जाता है. इसमें 1G की तुलना में अत्यधिक सुधार हुआ था जैसे ध्वनि की गुणवत्ता, ध्वनि की कर्कशता और पृष्ठभूमि शोर में कमी, एन्क्रिप्शन की वजह से वार्तालाप सुरक्षित होना, रोमिंग सुविधा, डाउनलोड गति तेज होना लगभग 0.2mbps इत्यादि. 2G से SMS और MMS के रूप में डाटा के द्वारा मीडिया कंटेंट एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल में साझा करना संभव हो गया. इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से आम से लेकर खास सभी के लिए मोबाइल इस्तेमाल करना सहज हो गया. इस दौरान नोकिया (NOKIA) के मोबाइल फोन सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुए थे.
विशेषता:
- इसमें बेहतर आवाज की गुणवत्ता और बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हुए डिजिटल प्रौद्योगिकी में परिवर्तन किया गया.
- बेसिक टेक्स्ट मैसेजिंग (एसएमएस) कार्यक्षमता पेश की गई.
- 1G की तुलना में रेडियो स्पेक्ट्रम का अधिक कुशल उपयोग हुआ.
कमियाँ:
- डेटा गति सिमित होने के कारण आमतौर पर केवल सरल पाठ-आधारित सेवाओं के लिए उपयुक्त थी.
- डेटा क्षमता और इंटरनेट ब्राउज़िंग क्षमताओं के मामले में सुधर की आवश्यकता थी.
- जीपीआरएस (जनरल पैकेट रेडियो सर्विस) काफी धीमी गति डेटा ट्रांसफर करता था.
3G Technology
NTT DoCoMo के द्वारा 2001 में जापान में 3G सुविधा की सुरुवात की गई. 3G नेटवर्क के जरिये इंटरनेशनल रोमिंग की सुरुवात हुई. 2G की अपेक्षा 3G में औसत डाउनलोड तीव्रता 4 गुना अधिक तेज लगभग 2mbps थी. जिसकी मदद से विडियो स्ट्रीमिंग , विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग, विडियो कालिंग, मोबाइल पर मेल देखना, इन्टरनेट इस्तेमाल, संगीत डाउनलोड करना आसान और तेज हो गया. इसी दौरान मोबाइल फ़ोन सामान्य से स्मार्ट हो गए और स्मार्टफोन के बाजार में दो प्रमुख प्रतियोगी उभरकर सामने आये- ब्लैकबेरी और एप्पल.
विशेषताएँ:
- तेज़ गति से डेटा ट्रान्सफर, इंटरनेट एक्सेस, ईमेल और बुनियादी वीडियो स्ट्रीमिंग इस तकनीक की विशेष्य थी.
- इसने वीडियो कॉलिंग और अधिक उन्नत मल्टीमीडिया सेवाओं से रूबरू कराया.
- 2जी की तुलना में बेहतर नेटवर्क दक्षता और कम ट्रैफिक देखने को मिला.
कमियां:
- अधिक ट्रैफिक आने पर डेटा गति धीमी थी.
- 3जी नेटवर्क विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के उन्नयन की आवश्यकता के कारण प्रदाताओं की लागत में वृद्धि हुई.
4G Technology
वर्तमान समय की तमाम सुविधाओं से लैस 4G के व्यावसायिक उपयोग की सुरुवात 2009 में नोर्वे से हुई थी. 4G की प्रारंभिक गति 12.5mbps निर्धारित की गई थी किन्तु सुरुवाती दौर में इसे प्राप्त नहीं किया जा सका. 4G उच्च गुणवत्ता वाली वीडियो स्ट्रीमिंग/चैट, तेज मोबाइल वेब एक्सेस, एचडी वीडियो और ऑनलाइन गेमिंग प्रदान करता है। 4G के शासन काल के दौरान, दुनिया भर में सबसे अधिक बिकने वाले सेल फोन में iPhone 6 और सैमसंग गैलेक्सी S4 शामिल थीं। चूंकि नए तकनीकी आविष्कार निरंतर जारी है अतः दुनिया को और तीव्र नेटवर्क की आवश्यकता महसूस हो रही है, 5G network इन आवश्यकताओं की पूर्ति करता है.
विशेषताएँ:
- डेटा गति में नाटकीय रूप से सुधार हुआ, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली वीडियो स्ट्रीमिंग और तेज़ इंटरनेट ब्राउज़िंग संभव हो गई.
- इसमें विलंबता और डेटा ट्रांसमिशन में देरी को सुधार कर कम किया गया.
- इसमें नेटवर्क क्षमता अत्यधिक होने से अधिक डिवाइस एक साथ कनेक्ट हो सकेंते है.
कमियाँ:
- बुनियादी ढांचे के पुनः नवनिर्माण के कारण नेटवर्क ऑपरेटरों के लिए प्रारंभिक रोलआउट महंगा था.
- कुछ ग्रामीण या दूर दराज के इलाकों में 4जी कवरेज सेवाएं, पहुँचने में बहुत देरी हुई या अब भी सीमित है.
5G Technology in Hindi (5G kya hai)
5th जनरेशन वायरलेस कम्युनिकेशन नेटवर्क (5G) सर्वप्रथम 2019 में साऊथ कोरिया में पेश किया गया था. कहा जाता है की 4G की तुलना में 5G की इन्टरनेट गति 20 गुना ज्यादा होगी. IoT (Internet of Things) के विकास, स्मार्ट सिटी और विभिन्न उद्योगों ने 5G की आवश्यकता को बढ़ा दिया है. भारत में 5G सुविधा की सुरुवात अधिकारिक रूप से अक्तूबर 2022 से हो चुकी है Airtel और Jio द्वारा महत्वपूर्ण शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, बेंगलुरु, हैदराबाद और सिलिगुडी में 5G network स्थापित किया जा चूका है और दिसम्बर 2024 तक धिरे धीरे इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत में कर दिया जायेगा.
4G और 5G में सबसे बड़ा अंतर लेटेंसी (एक यन्त्र से दुसरे यन्त्र में सुचना भेजने और प्राप्त करने में लगने वाला समय) और बैंडविद्थ में कमी है जिसके कारण अपलोड और डाउनलोड गति बहुत अधिक तीव्र होती है.भारत में 5G के लिए शीर्ष डाउनलोड गति 690.6Mbps प्राप्त हुई है , जो 4G के लिए शीर्ष डाउनलोड गति से 11.6 गुना तेज है। 4G की तुलना में औसत लेटेंसी 50 मिलिसेकंड से घटकर 10 मिलिसेकंड रह गई है और भविष्य में 1 मिलिसेकंड तक होने की संभावना है. 4G की तुलना में 5G की आवृत्ति श्रेणी (frequency range) भी अधिक है जो 30GHz-300GHz के बीच है.
विशेषताएँ:
- अत्यधिक उच्च डेटा गति के कारण वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी का एप्लीकेशन संभव हुआ.
- अल्ट्रा-लो विलंबता (Latency), स्वचालित वाहनों और रिमोट सर्जरी जैसे वास्तविक एप्लीकेशन साकार हो सका.
- इसकी विशाल नेटवर्क क्षमता, कई IoT उपकरणों के कनेक्शन को सक्षम बनाती है.
कमियाँ:
- 5G की उच्च-आवृत्ति किरणों की रेंज कम होने के कारण और इसके लिए अधिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है, जिससे कार्यान्वयन ने लागत को बहुत अधिक बढ़ा दिया.
- 5G की तैनाती के लिए उच्च आवृत्ति रेंज के कारण अधिक सेल टावरों की आवश्यकता होती है.
- उच्च-आवृत्ति रेडियो तरंगों के संपर्क से संभावित स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में कुछ चिताएँ हैं, हालाँकि इस विषय पर शोध जारी है और अनिर्णायक है.
5G से संबंधित FAQs-
1. 5G क्या है?
A: 5G 5th जनरेशन मोबाइल नेटवर्क है.
2. 4G से 5G बेहतर कैसे है?
A: 4G की तुलना में 5G के बेहतर होने के निम्न कारण है.
- 4G की अपेक्षा 5G की गति में लगभग 10 से 15 गुना ज्यादा तीव्रता.
- 4G की अपेक्षा 5G की लेटेंसी का कम होना.
- 4G की तुलना में बेहतर स्पेक्ट्रम आवृत्ति श्रेणी का इस्तेमाल.
- 4G की अपेक्षा 5G की बेहतर नेटवर्क क्षमता.
3. क्या 4G फ़ोन में 5G चल सकता है?
A: नहीं. इसके लिए इस नेटवर्क को सपोर्ट करने वाले फ़ोन की जरूरत पड़ती है.
4. 5G का इस्तेमाल किन क्षेत्रो में होगा?
A: 5G मुख्य रूप से संचार, उद्योगों और IoT को प्रभावित करेगा.
5. भारत में 5G कब आ रहा है?
A: भारत में अक्तूबर 2022 से मुख्य शहरों में 5G network स्थापित करना सुरु हो चूका है और दिसम्बर 2024 तक सम्पूर्ण भारत में 5G स्थापित करने का लक्ष्य है.
6. क्या 5G की गति फाइबर से तेज है?
A: 5G की स्पीड 20 Gbps डाउनलिंक और 10Gbps अपलिंक है। जबकि फाइबर केबल की गति 1 पेटाबिट/सेकंड और व्यावहारिक गति 100 Gbps है।
7. किन देशो में 5g network आ चूका है?
A: चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका अपने 5G रोलआउट में अन्य देशों से काफी आगे हैं
8. 5G में G का मतलब ? (G ka matlab kya hota hai)
A. 5 G में G से तात्पर्य जनरेशन है.
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